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28-सितंबर-2024
प्रिय पाठकों,
शरद नवरात्रि हिन्दी पंचांग के अनुसार अश्विन (क्वार) महीने में होती है. नवरात्रि 9 दिनों तक चलने वाला त्यौहार है . यह नौ दिन बहुत पवित्र माने जाते हैं और इन दिनों पूजा अर्चना और व्रत उपवास रहने की परंपरा रही है. कुछ लोग जहाँ आठ दिन के उपवास के बाद नवें दिन नौ कन्याओं को खाना खिलाने के बाद नवमी को उपवास खोलते हैं. वही कुछ लोग पड़वा और अष्टमी का व्रत रखते हैं और फिर नवमी को कन्या खिलाते हैं. इस वर्ष नवरात्रि 3 अक्टूबर-2024 से शुरू हो रही है और इस महीने में पड़ने वाले कुछ और त्यौहार इस प्रकार हैं.... शरद नवरात्रि की पड़वा- 3 अक्टूबर
अष्टमी- 10 अक्टूबर
नवमी- 11 अक्टूबर
विजय दशमी/ दशहरा- 12 अक्टूबर
संपूर्ण भारतवर्ष में शरद नवरात्रि की अपनी ही महत्ता है. भारतवर्ष में इस अवसर पर खूब धूम होती है . कहीं देवी जागरण तो, कहीं दुर्गा पूजा के पंडाल, कहीं डांडिया, कहीं रास, कहीं गरबा और वहीं कुछ जगहों पर रामलीला के सजे मंच. शरद नवरात्रि कुछ ख़ास इसलिए भी होती है क्योंकि नवमी के बाद आता है विजयदशमी का पर्व.
इस शुभ मौके पर हम कुछ नये फलाहारी व्यंजन बनाएँगे...
शुभकामनाओं के साथ,
शुचि
बादाम और गुलाब की बर्फी स्वादिष्ट और पारंपरिक भारतीय मिठाई है जो व्रत उपवास के साथ साथ पूजा के लिए या फिर वैसे ही बच्चों के लंच बॉक्स के लिए भी अति उत्तम रहती है. बादाम को एक बहुत ही फायदेमंद मेवा माना जाता है. इसमें कई प्रकार के विटामिन और खनिज होते हैं जो स्वास्थ के लिए अति हितकर होते हैं. हम बचपन से भी सुनते आ रहे हैं ...
कूटू और बादाम का हलवा बहुत स्वादिष्ट और पौष्टिक भी होता है. कूटू में ग्लूटेन नाम का प्रोटीन नहीं होता है तो जो लोग ग्लूटेन से एलर्जिक हैं वो भी इस हलवे को खा सकते हैं. जहाँ ज्यादातर व्रत में अनाज नहीं खाए जाते हैं वहीँ कूटू एक ऐसा बीज है जिसका प्रयोग भारत में व्रत के दिनों में भी किया जाता है. कूटू के आटे से कई स्वादिष्ट व्यंजन बनाए जाते हैं, जैसे कि कूटू की पकौड़ी, कूटू की पूरी, कूटू के चीले, कूटू का हलवा, कूटू के पराठे इत्यादि....
मखाने की खीर विशेष उपवास दिनों के लिए बनाई जाती है. मखाने प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट से भरपूर होते हैं. यह खीर बड़ी मजेदार होती है, और बच्चों को बेहद पसंद आती है. इस मखाने की खीर में आप अपने स्वाद के अनुसार और भी मेवा डाल सकते हैं...
आलू का हलवा एक पारंपरिक उत्तर भारतीय मिठाई है. यह हलवा फलाहारी होता है. मुझे याद है जब मैं छोटी थी तब मेरी दादी यह हलवा एकादशी के व्रत पर बनाती थी. आलू का यह हलवा बहुत स्वादिष्ट है लेकिन इसमें कैलोरी काफ़ी मात्रा में होती हैं, इसीलिए यह ज़रूरी हो जाता है कि इस स्वादिष्ट हलवे को थोड़ा ध्यानपूर्वक खाया जाए...
मेवे के यह लड्डू स्वादिष्ट होने के साथ साथ पौष्टिक भी हैं. यहाँ हमने बादाम, अखरोट, पेकान और काजू का प्रयोग किया खजूर और क्रेनबेरी के साथ. आप चाहें तो स्वाद और उपलब्धता के अनुसार कुछ और मेवे का भी प्रयोग कर सकते हैं. इस विधि हमने सूखे मेवे भूनें है जिससे इसमें घी का इस्तेमाल ना हो और इन लड्डू में चिकनाई ना हो ज़्यादा और यह लड्डू भारी ना हों. यह लड्डू फलाहारी हैं और इन्हे व्रत/उपवास के दिनों में भी खाया जा सकता है...
बादाम की खीर आप उपवास में भी खा सकते हैं. बादाम विटामिन और खनिज से भरपूर होते हैं और इन्हे सेहत का खजाना माना जाता है. कहते हैं सुबह निन्ने मुहँ ४ बादाम खाने से स्वास्थ्य बहुत अच्छा रहता है. मैने इस खीर में बादाम को छिलके के साथ ही पीसा है क्योंकि बादाम के छिलकों में भी बहुत खनिज होते है. यह खीर बड़ी मजेदार होती है, और बच्चों को भी बेहद पसंद आती है...
शकरकंदी का हलवा एक पारंपरिक फलाहारी उत्तर भारतीय मिठाई है जिसे ख़ासतौर पर व्रत के लिए बनाया जाता है. मुझे याद है जब मैं छोटी थी तब मेरी दादी यह हलवा एकादशी के व्रत पर बनाती थी. शकरकंदी को बहुत गुणकारी कंद माना जाता है. इसमें रेशे बहुतायत में होते हैं और इसके साथ ही साथ इसमें विटामिन ए, सी, कैल्शियम, और लौह तत्व भी प्रचुर मात्रा में होते हैं. इस हलवे में आप जितना अधिक घी डालेंगे यह उतना ही अधिक स्वादिष्ट लगता है...
सिंघाड़े में कार्बोहाइड्रेट, स्टार्च, विटामिन बी-6, रिबॉफ्लेविन आदि प्रचुर मात्रा में होता है. यह कच्चा भी खाया जाता है, और उबाल कर भी. सिंघाड़े के आटे से भी तरह-तरह के व्यंजन बनाए जाते हैं. सिंघाड़े के व्यंजन उपवास के दिनों में बनाए जाते हैं. आज हम आपको सिंघाड़े का हलवा बनान बता रहे हैं. कैलोरी को कम करने के लिए हमने इसे कम घी में नॉन स्टिक कड़ाही में बनाया है लेकिन यकीन मानिए यह स्वाद में बहुत उम्दा है.......
अखरोट को एक बहुत ही फयदेमाड मेवा माना जाता है. इसमें कई प्रकार के विटामिन और खनिज होते हैं. अखरोट की बरफी एक बहुत आसानी से बनने वाली मिठाई है. इस मिठाई को बनने में समय भी कम लगता है. आप अपने स्वाद के अनुरूप इसमें कुछ और मेवे भी मिला सकते हैं आम तौर पर मेवे की मिठाई व्रत में भी खाई जा सकती है. ...
खजूर और अखरोट से बनी यह बरफी बनाने में बहुत आसान और बहुत पौष्टिक भी है. मैने यह बरफी बनाना अपनी एक सहेली अपर्णा से सीखा है. यह बरफी सभी को बहुत पसंद आती है तो चलिए इस बार जन्माष्टमी पर यह चट पट बनने वाली खजूर और अखरोट की बरफी बनाते हैं...
अरबी जिसे उत्तर भारत में घुइयाँ के नाम से भी जाना जाता है आलू और शकरकंद के जैसे आमतौर पर सभी परिवारों में व्रत के दिनों में खाई जाती है. अरबी से कई प्रकार के व्यंजन बनाए जाते हैं. अरबी के कबाब बहुत आसानी से बनने वाला फलाहारी व्यंजन है. अरबी में क्योंकि स्टार्च होता है तो यह थोड़ा चिपकती है, इसलिए हमने इसमें कूटटू का आटा मिलाया है जिससे इसे बाँधने में आसानी रहती है... तो आप भी बना कर देखिए यह स्वादिष्ट फलाहारी कबाब.....
कच्चे केले में कार्बोहाइड्रेट, रेशे, विटामिन सी एवम् विटामिन बी6 प्रचुर मात्रा में पाया जाता है. केले में पोटैशियम भी बहुतायत में पाया जाता है. कच्चे केले में पके केले के मुक़ाबले में बहुत कम शर्करा होती है. केले आमतौर पर सभी व्रतों में खाए जाते हैं. कच्चे केले से बने यह फलाहारी टिक्की स्वाद में तो लाजवाब हैं ही सेहत के लिए भी सही हैं. आप इन टिक्की को बहुत कम चिकनाई लगाकर तवे पर सेक सकते हैं. इन स्वादिष्ट टिक्की को आप फलाहारी हरी चटनी के साथ परोसें तो यह और भी स्वादिष्ट लगती हैं...
थालीपीठ एक बहुत प्रसिद्ध माहरॉशट्रियन नमकीन डिश है. आज हम यहाँ पर साबूदाना, उबले आलू, भुनी मूँगफली, और सिंघाड़े के आटे से फलाहारी थालीपीठ बनाएँगे. अगर आप चाहें तो सिंघाड़े के आटे के स्थान पर इसमें कूटू का आटा भी डाल सकते हैं. आप इस स्वादिष्ट थालीपीठ को खीरे के रायते, फलाहारी चटनी या फिर सादे दही के साथ भी परोस सकते हैं. तो चलिए बनाते हैं फलाहारी थालीपीठ..
सिंघाड़े में कार्बोहाइड्रेट, स्टार्च, विटामिन बी -6, रिबॉफ्लेविन आदि प्रचुर मात्रा में होता है. यह कच्चा भी खाया जाता है, और उबाल कर भी. सिंघाड़े का आटा भी बाजार में आसानी से मिल जाता है. सिंघाड़े और इसके आटे के नाना प्रकार के व्यंजन उपवास के दिनों में बनाए जाते हैं. आज हम सिंघाड़े की नमकीन बरफी ...
साबूदाने को ज़्यादातर परिवारों में व्रत के दिनों में खाया जाता है. साबूदाना कार्बोहाइड्रेट का बहुत अच्छा सोत्र है जिससे इसे खाने से उर्जा मिलती है. वैसे शायद यही वजह है कि बिना व्रत के भी लोग साबूदाने का प्रयोग करते है....साबूदाने से कई प्रकार के व्यंजन बनाए जाते हैं जैसे कि, साबूदाने के पापड़, साबूदाने की कचड़ी, साबूदाना वड़ा...
मूँगफली में प्रोटीन बहुतायत में होता है और मखाने में कार्बोहाईड्रेट. इन फलाहारी मेवे के साथ बनाई गयी यह भेल व्रत के दिनों में अति उत्तम रहती है. तो बनाइए इस आसान भेल को......इस विधि में भेल या लईया तो है ही नहीं ! - लेकिन व्रत में अन्न वर्जित है, इसीलिए यह बिना भेल की भेल है -मखाने की ...
जो लोग नवरात्रि में आठ दिन का उपवास रखते हैं उनका मन हर दिन कुछ अलग और हल्का खाने को करता है ऐसे में यह कूटू की सब्जी बहुत अच्छी रहती है. उनके लिए यह सब्जी बहुत अच्छी रखती है. उबले आलू, खट्टे दही, और कूटू के आते से बनाई गयी यह सब्जी बहुत स्वादिष्ट होती है. आप इसे कूटू की पूरी, या फिर कूटू के चीले/ कूटू के पराठे किसी के साथ भी परोस सकते हैं....
कूटू एक ऐसा फल है जिसे व्रत के दिनों में खाया जाता है. कूटू भारत में तो आसानी से मिल जाता है लेकिन भारत के बाहर तो मैने खाली कूटू का आटा ही देखा है. कूटू के आटे से कई स्वादिष्ट व्यंजन बनाए जाते हैं. जैसे कि कूटू की पकौड़ी, कूटू की पूरी, कूटू के चीले, कूटू का हलवा, कूटू के पराठे इत्यादि....