See this page in English
होली, यानी की रंगो का पर्व- होली का त्यौहार फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन पड़ता है. इस वर्ष होलिका दहन 24 मार्च- 2024 और रंग 25 मार्च- 2024 को खेला जाएगा. होली वैसे तो संपूर्ण भारत वर्ष में ही मौज मस्ती के माहौल में मनाई जाती है. लेकिन मेरे गृह नगर में यह पर्व पूरे एक हफ्ते तक चलता था और शायद अभी भी ऐसा होता हो.
होली का पर्व अच्छाई की बुराई पर जीत का संकेत है, इस पावन दिन सभी लोग पुराने लड़ाई झगड़े भूल कर सबको गले लगा लेते हैं...
जब त्यौहारों की बात आती है तो साथ में पारंपरिक भोजन का ज़िक्र करना बहुत ज़रूरी है. तो इस बार हम कुछ बहुत प्रसिद्ध व्यंजन जो कि ख़ासतौर पर होली पर बनाए जाते हैं उनको बनाना सीखेंगें. आजकल सभी लोग कम मीठा खाना पसंद करते हैं जिससे त्यौहार भी मनाया जाए और स्वास्थ्य भी दुरुस्त रहे. होली के अवसर पर उत्तर भारत में कांजी बनाने का चलन है. इस मौके पर तरह तरह की चाट भी बनाई जाती है. इन सबके साथ में होली के अवसर पर ठंडlई भी बनाने का चलन है. अब बनाने चलो तो बहुत कुछ बनाया जा सकता है तो आप अपने स्वाद और सेहत को ध्यान में रखते हुए होली के व्यंजन बनाएँ और खूब खुशनुमा माहौल में इस पर्व का आनंद लें. हमेशा की तरह हमें अपनी राय जरूर लिखें.
होली की आप सभी को रंगभरी शुभकामनाएं
शुचि
चंद्रकला उत्तर भारत की बहुत ही प्रसिद्ध और पारंपरिक मिठाई है. होली और दीवाली के अवसर पर तो ख़ासतौर से यह मिठाई बनाई जाती है. चंद्रकला, गुझिया के जैसी ही होती है स्वाद में लेकिन यह देखने में अलग है क्योंकि गुझिया अर्ध चंद्राकार होती है जबकि चंद्रकला पूर्ण चंद्राकार यानी कि गोल होती है. मैदे के खोल में खोए की भरावन भर कर फिर उसे शुद्ध देशी घी में तल कर बनाई जाती है चंद्रकला....
होली का त्यौहार हो और गुझिया का ज़िक्र ना हो यह कैसे संभव है. गुझिया एक बहुत पारंपरिक मिठाई है. मैदे के खोल में खोए की भरावन भर कर फिर उसे शुद्ध देशी घी में तल कर बनाई जाती है गुझिया. गुझिया बनाना एक कला है और इसको बनाने के लिए धीरज की ज़रूरत होती है, वैसे गुझिया बनाना कठिन नही है.....लेकिन अगर आप पहली बार गुझिया बना रहे हैं तो बेहतर होगा कि थोड़ी मात्रा में बनाए. तो बनाइए स्वादिष्ट खोए की गुझिया.......
चूरमा गेहूँ के आटे से बनाई जाने वाली एक खास भारतीय मिठाई है जो कि राजस्थान की ख़ासियत है. चूरमा को खालिस घी में बनाया जाता है तो आप इसकी खुश्बू और स्वाद का अंदाज़ा खुद ही लगा सकते हैं. चूरमा को राजस्थान में दाल-बाटी के साथ परोसा जाता है. चूरमा और चूरमे के लड्डू दोनों को ही बनाना आसान होता है लेकिन इसे बनाने में थोड़ा सा वक्त लगता है...
अखरोट को एक बहुत ही फयदेमाड मेवा माना जाता है. इसमें कई प्रकार के विटामिन और खनिज होते हैं. अखरोट की बरफी एक बहुत आसानी से बनने वाली मिठाई है. इस मिठाई को बनने में समय भी कम लगता है. आप अपने स्वाद के अनुरूप इसमें कुछ और मेवे भी मिला सकते हैं आम तौर पर मेवे की मिठाई व्रत में भी खाई जा सकती है....
आटे के लड्डू संपूर्ण भारत वर्ष में बहुत प्रसिद्ध हैं. लड्डू बनाने की भी अलग अलग विधियाँ होती हैं. यह लड्डू बनाने की एक पारंपरिक उत्तर भारतीय शैली है. इसमें मैने गोंद भी डाली है जिससे ना केवल लड्डू का स्वाद बढ़ता है बल्कि गोंद सेहत के लिए भी अच्छी होती है ख़ासतौर पर ठण्ड में. तो इस बार होली पर बनाइए आटे के लड्डू.......….
बेसन के लड्डू एक सदाबहार मिठाई है . मोटे बेसन को खालिस देशी घी में भूनकर यह लड्डू बनाए जाते हैं. बेसन के लड्डू बनाना तो आसान है लेकिन थोड़ा समय लगता है बनाने में. होली के मौके पर थोड़ा समय निकालकर बनाएँ बेसन के लड्डू ...
शाही टोस्ट/ शाही टुकड़ा, जैसा कि नाम से ही जाहिर है यह टुकड़े बड़े शाही हैं. ब्रेड के टुकड़ों को खालिस देशी घी में तलकर, चाशनी में भिगोकर और फिर ऊपर से रबड़ी से सजाकर बनाए गये यह टुकड़े किसी के भी मुँह में पानी ले आएँ. तो इस दीपावली पर बनाइए नवाबी सभ्यता से आए यह टुकड़े और लिख भेजिए अपनी राय........
गुलाब जामुन एक बेहद पसंद करी जाने वाली पारंपरिक मिठाई है. मुगलई सभ्यता से आई यह मिठाई अब ना केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी अपनी पहचान बना चुकी है. पारंपरिक गुलाब जामुन खोए/ मावा से बनाए जाते हैं वैसे आजकल ब्रेड के गुलाब जामुन से लेकर आलू, पनीर, इत्यादि के गुलाब जामुन प्रचलन में हैं. चलिए हम पहले खोए से पारंपरिक गुलाब जामुन बनाएँ जिसकी बहुत सारे....
गोलगप्पे, बताशे, पुच्के, पानी पूरी, यह सब नाम हैं उस एक चीज़ के जो पूरे भारत में चाट का नाम आते ही सबसे पहले जहन में आते है. उत्तर प्रदेश में गोलगप्पे, बताशे के नाम से ज़्यादा जाने जाते हैं. बाजार में सजे चाट के ठेलों पर पानी के बताशों के साथ ही साथ दही सोंठ के बताशे भी उत्तर प्रदेश की एक ख़ासियत हैं. सोंठ उत्तर प्रदेश में मीठी चटनी को कहते है.....
कांजी के बड़े उत्तर भारत में होली के अवसर पर बनने वाला बहुत की लोकप्रिय व्यंजन है. फागुनी मौसम में रंगों की बाहर के साथ यह यह चटपटे कांजी में पड़े बड़े बहुत स्वादिष्ट लगते हैं. राई को चढ़ने में तोड़ा समय लगता है तो बेहतर होगा की आप मूँग दाल के बड़े कांजी में होली के तीन चार दिन पहले की बना लें. तो फिर देर किस बात की बनाइए कांजी के बड़े और लिखना ना भूलें अपनी राय...
शाकाहारी कबाब कई तरह के होते हैं, जैसे की, अरबी के कबाब, कच्चे केले के कबाब, पपीते के कबाब इत्यादि. यह विधि लोबिया के कबाब की है जो बनाने में तो आसान हैं ही खाने में भी बहुत स्वादिष्ट होते हैं. लोबिया पोटेशियम का एक अच्छा स्रोत है, और साथ ही साथ इसमें मैग्नीशियम और कैल्शियम भी होता है. लोबिया में और दालों के मुक़ाबले में फाइबर की मात्रा ज़्यादा होती है, और यह प्रोटीन का भी बहुत अच्छा स्रोत है. ..
पापड़ी चाट को सेव पूरी भी कहते हैन.वैसे तो आजकल पापड़ी बाजार में आसानी से मिल जाती है लेकिन अगर आप चाहें तो इन्हे घर पर भी आसानी से बनाया जा सकता है. पापड़ी की ऊपरी परत को थोडा सा फोड़ कर, उसमें उबले हुए आलू भरकर, मीठी चट्नी और दही डाल कर, फिर स्वादानुसार मसाले डालकर सर्व करते हैं. तो मज़े लीजिए पापड़ी चाट के.....
मोसे की प्रसिद्धी देश-विदेश तक है. मैनें अपने विदेश प्रवास के दौरान बीफ समोसा, पास्ता समोसा और नूडल समोसा भी देखा है. मसालेदार आलू भर कर बनाए गये समोसे बेहद पसंद किए जाते हैं. इन्हें बनाना आसान है, लेकिन थोड़े धैर्य की आवश्यकता है. मीठी सोंठ और धनिए की चटनी के साथ समोसे के मज़े लीजिए...
दही की गुझिया राजस्थान (मारवाड़ी) की ख़ासियत है. दही की गुझिया एक प्रकार के शाही दही बड़े जैसी ही है. जैसा की नाम से ही जाहिर है दही की गुझिया, गुझिया के जैसी ही दिखती है और इसके बीच में मेवा भी भरी होती है, लेकिन इसे दाल से बनाया जाता है. हमारे बहुत सारे पाठक काफ़ी समय से दही की गुझिया की फरमाइश कर रहे थे तो अब दीपावली से अच्छा मौका फिर कब मिलता. तो चलिए फिर...
शिकंजी एक बहुत की प्रसिद्ध और ठंडक पहुँचने वाला पेय है. गर्मी की तपती दोपहरी में नीबू शिकंजी शीतलता प्रदान करती है और इसके साथ ही शरीर को उर्जा और खनिज प्रदान करती है. यह पेय चटपट बन जाता है और स्वाद लाजवाब. होली खेलने के बाद सर्व करें ठंडी ठंडी नीबू शिकंजी...
ठंडाई उत्तर भारत का एक बहुत ही मशहूर पेय है. इसे कई प्रकार के मसालों, गुलाब की पत्तियों, और बादाम को पीसकर दूध में डालकर होली के अवसर पर बनाते हैं. बातों ही बातों में मेरी गुजराती दोस्त ने बताया कि पश्चिम भारत में ठंडाई को ख़ासतौर पर शिव जी के भोग के लिए महा शिवरात्रि के अवसर पर भी बनाते हैं. इस बात से मुझे याद आया कि जब हम छोटे थे तो अगस्त महीने में ...
इस पेय को हमने जिन चीज़ों से बनाया है वो सभी हमारे शरीर को गर्मी में ठंडक और साथ ही साथ खनिज भी प्रदान करती हैं. पुदीने में विटामिन ए और सी के साथ के खनिज भी होते हैं. खीरे में ९० % से अधिक पानी की मात्रा होती है. नीबू में विटामिन सी, और पोटैशियम बहुतायत में होता है. अब आप ही सोचिए यह घर का बना शुद्ध पेय कितने गुणों से भरपूर....
कॉफी एक बहुत ही लोकप्रिय पेय है. कॉफी के बीन्स कॉफी के पौधे से निकले जाते हैं. वैसे तो बाजार में कई प्रकार के कॉफी के बीन्स और कई अलग-अलग ब्रांड की इन्स्टेंट कॉफी मिलती हैं लेकिन उत्तर भारत में इंस्टेंट और दक्षिण भारत में फ़िल्टर कॉफी का बहुत चलन है. तो चलिए आज आपको यह आसानी से घर पर ही बन जाने वाली स्वादिष्ट झागदार, क्रीमी कॉफी को बनाना बताते हैं....