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9-अप्रैल-2024
बसंत/ वसंत नवरात्रि हिन्दी पंचांग के अनुसार चैत्र मास की पड़वा से शुरू होती है. वैसे उत्तर भारत में हिन्दू नव वर्ष की शुरुआत भी चैत्र मास की पड़वा से ही होती है. नवरात्रि 9 दिनों तक चलने वाला त्यौहार है . यह नौ दिन बहुत पवित्र माने जाते हैं और इन दिनों पूजा अर्चना और व्रत उपवास रहने की परंपरा रही है. कुछ लोग जहाँ आठ दिन के उपवास के बाद नवें दिन नौ कन्याओं को खाना खिलाने के बाद रामनवमी को उपवास खोलते हैं. वही कुछ लोग पड़वा और अष्टमी का व्रत रखते हैं और फिर नवमी को कन्या खिलाते हैं. नवरात्रि के पावन पर्व पर लोग कई तरह के संकल्प लेते हैं और नौ दिन उन पर अमल करते हैं- जैसे नौ दिन तक किसी भी प्रकार के आँच पर पके भोजन को ग्रहण नहीं करेंगें या फिर नौ दिन सिर्फ एक ही बार भोजन करेंगें या फिर नौ दिन सिर्फ जल और लौंग पर उपवास करेंगें।
बसंत नवरात्रि में नवमी को राम नवमी के रूप में मनाया जाता है. इस वर्ष नवरात्रि 9 अप्रैल से शुरू हो रही है और रामनवमी का पर्व 17 अप्रैल-2024 को मनाया जाएगा. नवमी के दिन कन्या भोज का आयोजन किया जाता है और इस दिन ख़ास खाना बनाया जाता है. नवमी के व्यंजन के बारे में यहाँ पढ़ें.
नवरात्रि के पावन पर्व के लिए कुछ नये फलाहारी व्यंजन विधियों के बारे में पढ़ें।
शुभकामनाओं के साथ,
शुचि
कच्चे केले में कार्बोहाइड्रेट, रेशे, विटामिन सी एवम् विटामिन बी6 प्रचुर मात्रा में पाया जाता है. केले में पोटैशियम भी बहुतायत में पाया जाता है. कच्चे केले में पके केले के मुक़ाबले में बहुत कम शर्करा होती है. केले आमतौर पर सभी व्रतों में खाए जाते हैं. कच्चे केले से बने यह फलाहारी टिक्की स्वाद में तो लाजवाब हैं ही सेहत के लिए भी सही हैं. आप इन टिक्की को बहुत कम चिकनाई लगाकर तवे पर सेक सकते हैं. इन स्वादिष्ट टिक्की को आप फलाहारी हरी चटनी के साथ परोसें तो यह और भी स्वादिष्ट लगती हैं...
साबूदाने को ज़्यादातर परिवारों में व्रत के दिनों में खाया जाता है. साबूदाना कार्बोहाइड्रेट का बहुत अच्छा सोत्र है जिससे इसे खाने से उर्जा मिलती है. वैसे शायद यही वजह है कि बिना व्रत के भी लोग साबूदाने का प्रयोग करते है....साबूदाने से कई प्रकार के व्यंजन बनाए जाते हैं जैसे कि, साबूदाने के पापड़, साबूदाने की कचड़ी, साबूदाना वड़ा...
वव्रत के दिनों में कुछ खास चीज़ें ही खाई जाती हैं जिनमें से एक है आलू. व्रत के दिनों के लिए यह भुने आलू की विधि आती उत्तम रहती है. इसमें हमने स्वाद बढ़ाने के लिए सेंधा नमक, हरी मिर्च और नीबू का रस डाला है. सूखे आलू की यह रेसिपी व्रत के साथ साथ आम दिनों में भी इस्तेमालकी जा सकती अगर आप का मन कुछ सादा खाने का है . ..
मूँगफली में प्रोटीन प्रचुर मात्रा में होता है. इसमें लोहा और मैग्निजियम भी पाया जाता है. मूँगफली में इतने गुण होते हैं कि इसे भारत में ग़रीबों की मेवा कहते हैं. मूँगफली का प्रयोग बहुत सारे व्यंजनों में होता है. आमतौर पर मूँगफली को फलाहारी माना जाता है और व्रत के दिनों में इसका उपयोग किया जाता है. मूँगफली को भून कर ही इसका प्रयोग किया जाता है...
मेवे के यह लड्डू स्वादिष्ट होने के साथ साथ पौष्टिक भी हैं. यहाँ हमने बादाम, अखरोट, पेकान और काजू का प्रयोग किया खजूर और क्रेनबेरी के साथ. आप चाहें तो स्वाद और उपलब्धता के अनुसार कुछ और मेवे का भी प्रयोग कर सकते हैं. इस विधि हमने सूखे मेवे भूनें है जिससे इसमें घी का इस्तेमाल ना हो और इन लड्डू में चिकनाई ना हो ज़्यादा और यह लड्डू भारी ना हों. यह लड्डू फलाहारी हैं और इन्हे व्रत/उपवास के दिनों में भी खाया जा सकता है...
आलू का हलवा एक पारंपरिक उत्तर भारतीय मिठाई है. यह हलवा फलाहारी होता है. मुझे याद है जब मैं छोटी थी तब मेरी दादी यह हलवा एकादशी के व्रत पर बनाती थी. आलू का यह हलवा बहुत स्वादिष्ट है लेकिन इसमें कैलोरी काफ़ी मात्रा में होती हैं, इसीलिए यह ज़रूरी हो जाता है कि इस स्वादिष्ट हलवे को थोड़ा ध्यानपूर्वक खाया जाए...
कूटू के पकौड़े भी सिंघाड़े के पकौड़े के जैसे ही बनाए जाते हैं. कूटू के पकौड़े सिंघाड़े के पकौड़े के मुक़ाबले में अधिक करारे बनते हैं. एक और बात जो ध्यान देने की है वो यह है कि कूटू सिंघाड़े की तुलना में अधिक गरम और भारी होता है. अब आप अपने स्वाद और उपलब्धता के अनुसार बनाएँ फलाहारी पकौड़े. यहाँ पर मैं आपको कूटू के पकौड़े बनाना बता रही हूँ...
कूटू एक ऐसा फल है जिसे व्रत के दिनों में खाया जाता है. कूटू भारत में तो आसानी से मिल जाता है लेकिन भारत के बाहर तो मैने खाली कूटू का आटा ही देखा है. कूटू के आटे से कई स्वादिष्ट व्यंजन बनाए जाते हैं. तो चलिए बनाते हैं कूटू की पूरी. कूटू के व्यंजन बनाते समय एक बात का ध्यान रखें कि कूटू की तासीर बहुत गरम होती है इसलिए कूटू के साथ दही ज़रूर खाना चाहिए जिसकी तासीर ठंडी होती है......