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साबूदाना कार्बोहाइड्रेट का बहुत अच्छा स्रोत है। इसे खाने से उर्जा मिलती है। साबूदाने को ज़्यादातर परिवारों में व्रत के दिनों में खाया जाता है। साबूदावैसे शायद यही वजह है कि बिना व्रत के भी लोग साबूदाने का प्रयोग करते है। साबूदाने में कैल्शियम भी अच्छी मात्रा में होता है। साबूदाने से कई प्रकार के व्यंजन बनाए जाते हैं जैसे कि, साबूदाने के पापड़, साबूदाने की कचड़ी, साबूदाना वड़ा, साबूदाने की खीर इत्यादि। आज हम आपको साबूदाने की फलाहारी खिचड़ी बनाना बता रहे हैं। साबूदाने के साथ इस खिचड़ी में मूंगफली भी डाली जाती है। मूंगफली में प्रोटीन होता तो साबूदाने को मूंगफली के साथ पकाने से कार्बोहाइड्रेट और प्रोटीन दोनों मिलकर इस खिचड़ी को सम्पूर्ण बनाते हैं। तो आप भी बनाएं स्वादिष्ट सात्विक साबूदाने की खचड़ी और अपनी राय हमें जरूर लिखें। शुभकामनाओं के साथ, शुचि
आप बदलाव के लिए भुनी मूंगफली, अदरक और हरी मिर्च को पीस कर भी साबूदाने की खिचड़ी में डाल सकते हैं।
अगर आप तीखा खाने के शौकीन हैं तो हरी मिर्च के साथ काली मिर्च भी डाल सकते हैं।
आप उबले आलू का प्रयोग भी कर सकते हैं। जिससे खिचड़ी जल्दी बन जाती है।
थालीपीठ एक बहुत प्रसिद्ध माहरॉशट्रियन नमकीन डिश है. आज हम यहाँ पर साबूदाना, उबले आलू, भुनी मूँगफली, और सिंघाड़े के आटे से फलाहारी थालीपीठ बनाएँगे. अगर आप चाहें तो सिंघाड़े के आटे के स्थान पर इसमें कूटू का आटा भी डाल सकते हैं. आप इस स्वादिष्ट थालीपीठ को खीरे के रायते, फलाहारी चटनी या फिर सादे दही के साथ भी परोस सकते हैं. तो चलिए बनाते हैं फलाहारी थालीपीठ..
सिंघाड़े में कार्बोहाइड्रेट, स्टार्च, विटामिन बी -6, रिबॉफ्लेविन आदि प्रचुर मात्रा में होता है. यह कच्चा भी खाया जाता है, और उबाल कर भी. सिंघाड़े का आटा भी बाजार में आसानी से मिल जाता है. सिंघाड़े और इसके आटे के नाना प्रकार के व्यंजन उपवास के दिनों में बनाए जाते हैं. आज हम सिंघाड़े की नमकीन बरफी ...