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सिंघाड़े में कार्बोहाइड्रेट, स्टार्च, विटामिन बी -6, रिबॉफ्लेविन आदि प्रचुर मात्रा में होता है. यह कच्चा भी खाया जाता है, और उबाल कर भी. सिंघाड़े का आटा भी बाजार में आसानी से मिल जाता है. सिंघाड़े और इसके आटे के नाना प्रकार के व्यंजन उपवास के दिनों में बनाए जाते हैं. आज हम सिघदे की नमकीन बरफी बनाना बता रहे हैं अगर आपको बरफी बनाना कठिन लग रहा है तो आप सिंघाड़े के आटे का नमकीन हलवा भी बना सकते हैं.......
अरबी जिसे उत्तर भारत में घुइयाँ के नाम से भी जाना जाता है आलू और शकरकंद के जैसे आमतौर पर सभी परिवारों में व्रत के दिनों में खाई जाती है. अरबी से कई प्रकार के व्यंजन बनाए जाते हैं. अरबी के कबाब बहुत आसानी से बनने वाला फलाहारी व्यंजन है. अरबी में क्योंकि स्टार्च होता है तो यह थोड़ा चिपकती है, इसलिए हमने इसमें कूटटू का आटा मिलाया है जिससे इसे बाँधने में आसानी रहती है... तो आप भी बना कर देखिए यह स्वादिष्ट फलाहारी कबाब.....
कच्चे केले में कार्बोहाइड्रेट, रेशे, विटामिन सी एवम् विटामिन बी6 प्रचुर मात्रा में पाया जाता है. केले में पोटैशियम भी बहुतायत में पाया जाता है. कच्चे केले में पके केले के मुक़ाबले में बहुत कम शर्करा होती है. केले आमतौर पर सभी व्रतों में खाए जाते हैं. कच्चे केले से बने यह फलाहारी टिक्की स्वाद में तो लाजवाब हैं ही सेहत के लिए भी सही हैं. आप इन टिक्की को बहुत कम चिकनाई लगाकर तवे पर सेक सकते हैं. इन स्वादिष्ट टिक्की को आप फलाहारी हरी चटनी के साथ परोसें तो यह और भी स्वादिष्ट लगती हैं...
थालीपीठ एक बहुत प्रसिद्ध माहरॉशट्रियन नमकीन डिश है. आज हम यहाँ पर साबूदाना, उबले आलू, भुनी मूँगफली, और सिंघाड़े के आटे से फलाहारी थालीपीठ बनाएँगे. अगर आप चाहें तो सिंघाड़े के आटे के स्थान पर इसमें कूटू का आटा भी डाल सकते हैं. आप इस स्वादिष्ट थालीपीठ को खीरे के रायते, फलाहारी चटनी या फिर सादे दही के साथ भी परोस सकते हैं. तो चलिए बनाते हैं फलाहारी थालीपीठ..
साबूदाने को ज़्यादातर परिवारों में व्रत के दिनों में खाया जाता है. साबूदाना कार्बोहाइड्रेट का बहुत अच्छा सोत्र है जिससे इसे खाने से उर्जा मिलती है. वैसे शायद यही वजह है कि बिना व्रत के भी लोग साबूदाने का प्रयोग करते है....साबूदाने से कई प्रकार के व्यंजन बनाए जाते हैं जैसे कि, साबूदाने के पापड़, साबूदाने की कचड़ी, साबूदाना वड़ा...