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18-अक्तूबर-2024
प्रिय पाठकों,
दीपावली का पर्व कार्तिक मास की अमावस्या को मानाया जाता है. पाँच दिन लंबा चलने वाला यह पर्व धनतेरस से शुरू होता है, उसके बाद छोटी दीपावली/ नरक चौदस, फिर दीपावली, पड़वा/ अन्नकूट/ गोवर्धन पूजा, और फिर आता है भाई दूज का त्यौहार.
पाँच दिन लंबा चलने वाला दीपावली का पर्व इस प्रकार हैं....
धनतेरस 29 अक्तूबर
छोटी दीवाली / नरक चौथ 30 अक्तूबर
दीवाली 31 अक्तूबर
अन्नकूट/ पड़वा 1 नवम्बर
भाई दूज 2 नवम्बर
दीवाली के लिए आप कुछ मीठे और नमकीन पकवान पहले से बना कर रख सकते हैं जो दो हफ्तों तक ख़राब नहीं होते हैं. और कुछ मिठाई नमकीन आप ताजे तुरंत बना सकते हैं. इसी के साथ दीवाली के दिन के खाने के लिए भी आप कुछ विशेष चीजें बना सकते हैं जैसे पनीर, दम आलू इत्यादि. हमारे घर पर दीवाली के दिन वैष्णव खाना बनता है यानि कि बिना प्याज लहसुन का खाना. तो चलिए हम भी भी बनाते हैं कुछ खास इस दीवाली के अवसर पर.
दीपावली की शुभकामनाओं के साथ,
शुचि
बादाम दीप जैसा कि नाम से ही जाहिर है यह दिए बादाम के बने हुए हैं और जी हाँ आप इसे मेहमानों को परोस सकते हैं. यह दिए देखने में अति सुंदर, खाने में बहुत ही स्वादिष्ट और सेहत के लिए भी बिल्कुल दुरुस्त हैं क्योंकि इन्हे बादाम से बनाया गया है. खाने वाले दिए बनाने का आइडिया मुझे यू. ए. ई से प्रकाशित होने वाली साप्ताहिक ...
मालपुए बहुत ही पसंद की जाने वाली पारंपरिक भारतीय मिठाई है. जाड़े के मौसम में भारत में हलवाई की दुकान में बनते गरमागरम मालपुए आसानी से किसी को भी अपनी ओर खीच लेते हैं.... आप में से बहुत सारे पाठक मालपुए बनाने की विधि के बारे में पूछते रहे हैं.. तो चलिए इस बार दीपावली में बनाते हैं यह स्वादिष्ट मालपुए.....
चूरमा गेहूँ के आटे से बनाई जाने वाली एक खास भारतीय मिठाई है जो कि राजस्थान की ख़ासियत है. चूरमा को खालिस घी में बनाया जाता है तो आप इसकी खुश्बू और स्वाद का अंदाज़ा खुद ही लगा सकते हैं. चूरमा को राजस्थान में दाल-बाटी के साथ परोसा जाता है......
गुलाब जामुन एक बेहद पसंद करी जाने वाली पारंपरिक मिठाई है. पारंपरिक गुलाब जामुन खोए/ मावा से बनाए जाते हैं वैसे आजकल ब्रेड के गुलाब जामुन से लेकर आलू, पनीर, इत्यादि के गुलाब जामुन भी प्रचलन में हैं. चलिए हम पहले खोए से पारंपरिक गुलाब जामुन बनाएँ...
जैसा कि नाम से ही जाहिर है यह टुकड़े बड़े शाही हैं. ब्रेड के टुकड़ों को खालिस देशी घी में तलकर, चाशनी में भिगोकर और फिर ऊपर से रबड़ी से सजाकर बनाए गये यह टुकड़े किसी के भी मुँह में पानी ले आएँ. तो इस दीपावली पर बनाइए नवाबी सभ्यता से आए यह टुकड़े और लिख भेजिए अपनी राय....
चंद्रकला उत्तर भारत की बहुत ही प्रसिद्ध और पारंपरिक मिठाई है. होली और दीवाली के अवसर पर तो ख़ासतौर से यह मिठाई बनाई जाती है. चंद्रकला, गुझिया के जैसी ही होती है स्वाद में लेकिन यह देखने में अलग है क्योंकि गुझिया अर्ध चंद्राकार होती है जबकि चंद्रकला पूर्ण चंद्राकार यानी कि गोल होती है. मैदे के खोल में खोए की भरावन भर कर फिर ...
बेसन के लड्डू एक सदाबहार मिठाई है . बेसन के लड्डू बनाना बहुत आसान है लेकिन थोड़ा समय लगता है बनाने में. इन लड्डू को आप पहले से बना कर रख सकते हैं, यह लड्डू 2-3 हफ्ते तक तो बिलकुल भी ख़राब नहीं होते. तो बनाइए बेसन के लड्डू जब हो थोड़ी सी फ़ुर्सत.
आटे के लड्डू संपूर्ण भारत वर्ष में बहुत प्रसिद्ध हैं. लड्डू बनाने की भी अलग अलग विधियाँ होती हैं. यह लड्डू बनाने की एक पारंपरिक उत्तर भारतीय शैली है. इसमें मैने गोंद भी डाली है जिससे ना केवल लड्डू का स्वाद बढ़ता है बल्कि गोंद सेहत के लिए भी अच्छी होती है ख़ासतौर पर जाड़े में. तो इस बार दीवाली पर बनाइए आटे के लड्डू....
रसगुल्ला और रसगुल्ले सभी को बहुत पसंद होते हैं क्योंकि यह बहुत हल्के होते हैं. वैसे तो बंगाली मिठाई पूरे भारत में बहुत लोकप्रिय हैं, लेकिन रसगुल्ला- इसका तो कोई तोड़ ही नही है. अच्छे रसगुल्ले एकदम मुलायम होते हैं और मुँह में रखते ही घुल जाते हैं. रसगुल्ले बनLने कि यह विधि एकदम पारंपरिक बंगाली विधि है ...
मूँग की दाल का हलवा बहुत ही पारंपरिक मिठाई है. जाड़े के मौसम में भारत में तीज त्यौहार, शादियों आदि में मूँग दाल हलवा बहुत चाव से बनता है. वैसे तो यह हलवा बहुत स्वादिष्ट होता है लेकिन इसमें खालिस घी भी जमकर पड़ता है. हमने यहाँ एक आसान विधि बताई है हलवा बनाने की. इसमें गीली दाल की जगह हमने सूखी मूँग दाल को पीसा है जिसे भूनना आसान होता है और घी भी कम लगता है. मैने एक कप मूँग दाल का हलवा..
अखरोट को एक बहुत ही फायेदे मंद मेवा माना जाता है. इसमें कई प्रकार के विटामिन और खनिज होते हैं. अखरोट की बरफी एक बहुत आसानी से बनने वाली मिठाई है. इस मिठाई को बनने में समय भी कम लगता है. आप अपने स्वाद के अनुरूप इसमें कुछ और मेवे भी मिला सकते हैं आम तौर पर मेवे की मिठाई व्रत में भी खाई जा सकती है......
खाने वाली गोंद एक खास पारक के पेड़ की छाल से निकली जाते है. भारत में गोंद का काफ़ी प्रयोग किया जाता है ख़ासतौर पर जड़े के मौसम में. गोंद को प्रयोग में लाने से पहले या तो इसे तला जाता है घी में या फिर इसे भूना जाता है. वैसे तो लड्डू पूरे भारत वर्ष में की बहुत लोकप्रिय हैं लेकिन गोंद के लड्डू बनाने की एक यह एक पारंपरिक उत्तर भारतीय शैली है.....
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