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मूँग की दाल का हलवा बहुत ही पारंपरिक मिठाई है. जाड़े के मौसम में भारत में तीज त्यौहार, शादियों आदि में मूँग दाल हलवा बहुत चाव से बनता है. वैसे तो यह हलवा बहुत स्वादिष्ट होता है लेकिन इसमें खालिस घी भी जमकर पड़ता है. हमने यहाँ एक आसान विधि बताई है हलवा बनाने की. इसमें गीली दाल की जगह हमने सूखी मूँग दाल को पीसा है जिसे भूनना आसान होता है और घी भी कम लगता है. मैने एक कप मूँग दाल का हलवा बनाया है जो कि चार लोगों से ज़्यादा होता है. इस हलवे को आप आठ लोगों को परोस सकते हैं. आप चाहें तो आधा कप मूँग की दाल का हलवा भी बना सकते हैं. इसके लिए हर सामग्री को आधा कर लें. तो आप भी बनाइए यह स्वादिष्ट मूँग दाल हलवा और कृपया अपनी राय हमें ज़रूर लिखें. शुभकामनाओं के साथ, शुचि
लौकी का हलवा बहुत आसानी से और कम समय में बन जाने वाली मिठाई है. आजकल गर्मी के मौसम में हमारी बगिया में जब यह पहली लौकी आई तो लगा कि शुरुआत कुछ मीठे से की जाए.... लौकी का हलवा वैसे तो बिना दूध और खोए के भी बहुत सवदिष्ट लगता है लेकिन हम यहाँ आपको खोए के साथ और खोए के बिना दोनों तरह से लौकी का हलवा बनाना बता देते हैं.
रवा केसरी सूजी का एक प्रकार का केसरिया हलवा है. सूजी के हलवे को भारत के अलग अलग प्रांतों में अलग अलग तरीके से बनाया जाता है . जैसे क़ि उत्तर भारत में जहाँ हम सूजी को एकदम लाल होने तक भूनते हैं और हलवा भी लाल ही होता है वहीँ मेरी गुजराती सहेली हल्कि सूजी भूनकर इसे दूध में पकाकर हलवा बनाती है . दक्षिण भारत में रवा केसरी बनाने का चलन है ...अब यही तो हमारे देश क़ि खासियत है भिन्नता में एकता ..