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मेथी के साथ बने छोले बहुत स्वादिष्ट लगते हैं. क्योंकि छोले गरिष्ठ होते हैं तो मेथी छोले के पाचन में भी मदद करती है. छोले को कई और भी नाम से जाना जाता है जैसे कि काबुली चने/ चना मसाला इत्यादि. छोले उत्तर भारत की एक बहुत ही लोकप्रिय डिश है. बाज़ारों में भी छोले चावल या छोले भटूरे के ठेले आम तौर पर दिखाई दे ही जाते हैं. कानपुर में एक दुकान के उपर बोर्ड लगा रहता है "शास्त्री जी का कहना है, छोले खा कर रहना है!" वैसे छोले, चना मसाला के नाम से विदेश में भी बहुत लोकप्रिय हैं. यहाँ हमने मेथी वाले छोले बनाये हैं.
मेथी वाले छोले की यह रेसिपी मेरी एक बहुत ही अज़ीज़ मित्र गीत की है . गीत ने यह छोले पूड़ी के साथ एक पार्टी के लिए बनाये थे जो सभी को बहुत पसंद आये थे. मझे लगा मुझे यह स्वादिष्ट मेथी वाले छोले की विधि अपने पाठकों के साथ साझा करनी चाहिए. तो आप भी इस त्यौहारों के मौसम में बनायें यह मेथी वाले छोले और हमेशा की तरह कृपया अपनी राय जरूर लिखें. शुचि
तैयारी का समय : 10 मिनटराजमा उत्तर भारत की बहुत ही प्रसिद्ध साबुत दाल है. राजमा में घुलनशील फाइबर बहुतायत में होता है. इसमें प्रोटीन , आइरन , और मैग्नीशियम आदि भी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है. राजमा और चावल का कोम्बो पूरे उत्तर भारत में बहुत पसंद किया जाता है......
इस दाल का प्रयोग पूरे भारतवर्ष में होता है. अरहर दाल उत्तरी भारत में रोजमर्रा में बनने वाली दाल है. इसके शौकीन अगर दो चार दिन तक अरहर नहीं खाते हैं तो उन्हें इस दाल की तलब लगने लगती है.......
मसूर की दाल कई रंगों में आती है. भारतवर्ष में तो नहीं, लेकिन फ्रांस में हरे रंग की मसूर भी आती है. उत्तर भारत में साबुत मसूर और धुली हुई मसूर (लाल), दोनों का ही प्रयोग किया जाता है. मसूर की दाल काफ़ी हल्की मानी जाती है, और खाने में भी बहुत स्वादिष्ट होती है. ....
लोबिया पोटेशियम का एक अच्छा स्रोत है, और साथ ही साथ इसमें मैग्नीशियम और तांबे के अंश भी होते हैं. लोबिया में और दालों के मुक़ाबले में फाइबर की मात्रा ज़्यादा होती है, और यह प्रोटीन का भी बहुत अच्छा स्रोत है. लोबिए को चावल के साथ परोसिए, तो यह बहुत अच्छा कौंबो बन जाता है......