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आजकल शाकाहारी भोजन में प्रोटीन की मात्रा को लेकर बहुधा प्रश्न उठते हैं। प्रोटीन को लेकर यह भ्रम फैला हुआ है कि शाकाहारी लोगों को सम्पूर्ण प्रोटीन नही मिलता। भारत में तो सदियों से शाकाहार का चलन है और पहले तो कभी भी प्रोटीन को लेकर कोई मुद्दा नही उठा फिर अचानक ऐसा क्यों है? यह भ्रम मांसाहारी से शाकाहारी बने लोगों की चिंता से जन्मा है। विदेश में प्रोटीन को सीधे सीधे मासांहार से जोड़ा जाता है इसीलिए नए शाकाहारी बने लोगों को यह डर रहता है कि उन्हें पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन नही मिल रहा है। तो इस लेख में प्रोटीन के बारे में जानते हैं, समझते हैं कि हमारे भोजन में प्रोटीन किस प्रकार के होते हैं और आयुर्वेद और पारम्परिक भारतीय भोजन शैली कैसे आधुनिक विज्ञान के इस “प्रोटीन” ज्ञान से जुड़ी है।
प्रोटीन हमारे शरीर के लिए अति आवश्यक तत्व हैं जो बहुत सारे छोटे छोटे अवयवों से मिलकर बने होते हैं जिन्हें अमीनो एसिड कहते हैं। हमारे शरीर में कई प्रकार के प्रोटीन हैं। प्रोटीन मांसपेशियों, ऊतक, हड्डियों और अन्य सभी अंगों के विकास और किसी भी प्रकार की टूट फूट की मरम्मत के लिए अति आवश्यक हैं। हमारे बाल, नाखून, आदि के लिए भी हमें प्रोटीन की आवश्यकता होती है। अमीनो एसिड कुल मिलाकर 20 प्रकार के होते हैं जिनमें से 9 मुख्य अमीनो एसिड हैं जो हमें हमारे खाने से मिलते हैं और बाकी के 11 अमीनो एसिड हमारा शरीर खुद बना लेता है। तो रोज़ाना में हमें ऐसा भोजन की आवश्यकता है जिससे हमें यह 9 अति आवश्यक अमीनो एसिड मिलें, जो हमारी प्रोटीन की जरूरत को पूरा कर सकें।
1.Complete protein यानि कि सम्पूर्ण प्रोटीन- यह वो प्रोटीन है जिसमें सभी जरूरी 9 अमीनो एसिड मौजूद हैं। सम्पूर्ण प्रोटीन मुख्य रूप से अंडे, मांसाहार, दूध और दूध से बने सभी सामग्री में होता है। शाकाहारियों के लिए जानना आवश्यक है कि दूध की प्रोटीन में भी सभी जरूरी 9 अमीनो एसिड हैं। दूध में विटामिन डी भी है और अंडे से ज्यादा प्रोटीन है। इसी तरह से दही में भी सभी अमीनो एसिड हैं और प्रोटीन भी अंडे से ज्यादा है। इसके अलावा सोयाबीन, किन्वा आदि में भी सम्पूर्ण प्रोटीन है।
2. Incomplete protein यानि कि अधूरी प्रोटीन – इस प्रकार की प्रोटीन में सभी जरूरी 9 अमीनो एसिड एक ही खाद्य पदार्थ में नहीं है जैसे कि मूंगफली, बादाम, छोले, दालें आदि।
3. Complementary protein यानि कि पूरक प्रोटीन जब आप दो ऐसे खाद्य पदार्थ एक साथ खाते हैं जिनमें अलग अलग तो सभी जरूरी अमीनो एसिड नहीं हैं लेकिन एक साथ पूरे अमीनो एसिड हो जाते हैं तो यह दोनों एक दूसरे के पूरक बन जाते हैं और शरीर को मिलकर एक साथ सभी जरूरी अमीनो एसिड पहुंचाते हैं - जैसे कि दाल और चावल। दाल और चावल अगर एक साथ खाए गए तो इस भोजन से शरीर को सभी जरूरी अमीनो एसिड मिल जाएँगे।
अधूरे प्रोटीन वाले पदार्थ किसी और पदार्थ के साथ मिलकर सम्पूर्ण प्रोटीन बना सकते हैं। भारतीय खाने में देखें तो बादाम का दूध, मेवा वाले आटे के लड्डू, दूध का दलिया, नमकीन दलिया, बाजरे का दलिया आदि भोजन के अनगिनत उदाहरण है जिनमें सम्पूर्ण प्रोटीन है।
कई स्वास्थ्य संगठनों का कहना है कि हर एक किलो वजन पर लगभग 0.८ ग्राम प्रोटीन की जरूरत होती है। तो अगर किसी का वजन ५५ किलो है तो उस इन्सान को लगभग ४४ ग्राम प्रोटीन की प्रतिदिन जरूरत होगी। जो लोग जिम जाते हैं या खेलकूद आदि में भाग लेते हैं, उनको मांसपेशियों को बनाने के लिए थोड़ा अधिक प्रोटीन चाहिए होता है।
शाकाहारी खाने की बात करें तो सभी दालों, अनाज, दूध, दही, और दूध से बने सभी पदार्थ, मूंगफली, बादाम आदि, कुट्टू, रामदाना, किंवा, आदि में खूब प्रोटीन होता है। सबसे ज्यादा प्रोटीन सोयाबीन में होता है। एक झलक डालते हैं कुछ रोजमर्रा के खाने की प्रोटीन की मात्रा पर – (१ कप = २३७ मिली)
नाश्ते में १५ ग्राम, लंच में २२ ग्राम, डिनर में १२ ग्राम, १ कप दूध में ७ ग्राम प्रोटीन- लीजिये यह हो गया ५६ ग्राम प्रोटीन।
यहाँ हमने बहुत सादे खाने का उदाहरण दिया है। छोले राजमा, दाल के पराठे, चने, पनीर की करी आदि में प्रोटीन की मात्रा ज्यादा होती है। मट्ठा, लस्सी, शाम के नाश्ते में भुने चने आदि सब में प्रोटीन है। अगर आप जिम जाते हैं या आप खेलकूद में हैं और मांसपेशियाँ बना रहे हैं और आपको ज्यादा प्रोटीन खाना है तो आप बादाम, मूंगफली और तिल आदि की खजूर के साथ पट्टी (प्रोटीन बार) बना सकते हैं जिसमें शक्कर कम है और प्रोटीन और खनिज ज्यादा हैं। दूध, दही की मात्रा भी बढ़ा सकते हैं।
भारतीय खानपान की रोज़ाना की परम्पराएँ सुचारू और पौष्टिक हैं। यहाँ तक कि व्रत उपवास के खाने में भी प्रोटीन की व्यवस्था है। कुट्टू, रामदाना, मूंगफली, बादाम आदि सभी व्रत में खाए जाते हैं और सभी में प्रोटीन भरपूर मात्रा में है।
मोटे तौर पर अगर आपका खानपान सही है तो आपको जितनी भी जरूरत है उतना प्रोटीन बड़ी आसानी से रोजमर्रा के शाकाहारी भारतीय खाने से मिल जायेगा।
एक बात ध्यान देने की है – अगर आप जरूरत से ज्यादा प्रोटीन खाते हैं जिसे आपका शरीर इस्तेमाल नहीं कर रहा है या पचा नही पा रहा है, तो यह बचा हुआ प्रोटीन समय के साथ वसा में परिवर्तित होने लगेगा और मोटापे का कारण भी बन सकता है।
शाकाहारी भारतीय खाने में भरपूर प्रोटीन होता है। दाल चावल, रोटी, सब्जी, भड़भूजे में भुने चने, इडली चटनी सांभर, दलिया, दूध, दही, पनीर सभी प्रोटीन, खनिज, आदि से भरपूर हैं तो पारंपरिक रूप से घर पर बनाये गए खाने में सभी जरूरी तत्व मौजूद हैं। यहाँ तक कि एक सबसे आसानी से बनने वाली सीधी सादी भारतीय खिचड़ी में भी सम्पूर्ण प्रोटीन होता है:)
सोयाबीन प्रोटीन का भी बहुत अच्छा स्रोत है और इसमें फाइबर की मात्रा भी ज़्यादा होती है और साथ ही साथ इसमें मैग्नीशियम और आइरन के अंश भी होते हैं. कुल मिलाकर सोयाबीन स्वास्थ्य का खजाना होता है. आप इसे करी के साथ बना सकते हैं और चावल के साथ परोस सकते हैं या फिर इसे सूखा बना सकते हैं नाश्ते के लिए...
काले चने में प्रोटीन प्रचुर मात्रा में पाया जाता है. रविवार के नाश्ते के लिए यह डिश बिल्कुल उपयुक्त है. अगर आप चाहें तो इसमें प्याज, आलू, टमाटर इत्यादि सब्जियाँ डाल सकते है जो इसके स्वाद को और बढ़ा देता है. तो बनाइए इस रविवार को काले चने....
िन्वा को सेहत का खजाना माना जाता है. इसमें प्रोटीन, विटामिन बी, अमीनो ऐसिड, ज़िंक, मॅग्नीज़ियम, रेशे इत्यादि बहुतायत में मिलते हैं. विदेशों में तो इसका बहुत ज़्यादा प्रयोग किया जाता है. मुझे किंवा/ किन्वा का हिन्दी नाम नही पता लेकिन मुझे ऐसा लगता है कि भारत में यह आपको आसानी से मिल जाना चाहिए क्योंकि किंवा/ किन्वा ...
किंवा/ किन्वा को सेहत का खजाना माना जाता है. इसमें प्रोटीन, विटामिन बी, अमीनो ऐसिड, ज़िंक, मॅग्नीज़ियम, रेशे इत्यादि बहुतायत में मिलते हैं. विदेशों में तो इसका बहुत ज़्यादा प्रयोग किया जाता है. मुझे किंवा/ किन्वा का हिन्दी नाम नही पता लेकिन मुझे ऐसा लगता है की भारत में यह आपको मिल जाना चाहिए क्योंकि किंवा/ किन्वा गर्मी में उगाया जाता है, एक और बात यह भी है की किंवा/ किन्वा, रामदाने के ही परिवार का सदस्य है ..
मूँग दाल प्रोटीन का बहुत अच्छा सोत्र है. सूखी मूँग दाल एक बहुत ही आसानी से और फटाफट बनने वाला नाश्ता है. ये स्वादिष्ट होने के साथ-साथ सेहतमंद भी है. इस दाल बनाने में भी बहुत कम समय लगता है . तो अगर आपके बच्चे दाल नही खाना चाहते हैं तो आप उनको मूँग दाल इस रूप में खिलाइए...
लोबिया पोटेशियम का एक अच्छा स्रोत है, और साथ ही साथ इसमें मैग्नीशियम और तांबे के अंश भी होते हैं. लोबिया में और दालों के मुक़ाबले में फाइबर की मात्रा ज़्यादा होती है, और यह प्रोटीन का भी बहुत अच्छा स्रोत है. लोबिए को चावल के साथ परोसिए, तो यह बहुत अच्छा कौंबो बन जाता है......
छोले को कई और भी नाम से जाना जाता है जैसे कि काबुली चने/ चना मसाला इत्यादि. छोले उत्तर भारत की एक बहुत ही लोकप्रिय डिश है. बाज़ारों में भी छोले चावल या छोले भटूरे के ठेले आम तौर पर दिखाई दे ही जाते हैं. कानपुर में एक दुकान के उपर बोर्ड लगा रहता है "शास्त्री जी का कहना है, छोले खा कर रहना है!"
खिचड़ी दाल और चावल से बनने वाली एक बहुत हल्की और आसान डिश है. और यह बहुत ही पौष्टिक भी है. भारत के विभिन्न प्रांतों में खिचड़ी अलग अलग तरह से बनाई जाती है. यहाँ हम उत्तर भारतीय शैली में खिचड़ी बनाने जा रहे हैं....
जई का मीठा दलिया एक बहुत ही पौष्टिक और स्वादिष्ट डिश है जिसे आप सुबह के नाश्ते में, खाने के बाद मिठाई के रूप में या फिर कुछ हल्का खाने का मन है तो भोजन के रूप में भी परोस सकते हैं. जई को सेहत के लिहाज से भी बहुत अच्छा माना जाता है ...
मीठा दलिया एक बहुत ही पौष्टिक और स्वादिष्ट डिश है जिसे आप सुबह के नाश्ते में, खाने के बाद मिठाई के रूप में या फिर कुछ हल्का खाने का मन है तो भोजन के रूप में भी परोस सकते हैं. यहाँ पर हमने मिले जुले कुटे हुए अनाज का प्रयोग किया है जैसे कि, गेहूँ का दलिया, ज़ई....