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मट्ठा जिसे छाछ के नाम से भी जाना जाता है, एक बहुत ही स्वास्थ्यवर्धक और स्वादिष्ट पेय है. दही को मथ कर बनाया गया यह पेय गर्मी में ठंडक पहुँचाता है और पाचन को भी सही रखता है. मट्ठा एक बहुत प्राचीन व्यंजन है जिसका जिक्र महर्षि चरक द्वारा रचित चरक संहिता में भी है.
गर्मियों में दूध से ज़यादा फ़ाएदेमंद दही रहता है और इसको हजम करना भी आसान होता है. दही में मौजूद जीवाणु पेट के लिए अच्छे रहते हैं. दही में कैल्शियम भी प्रचुर मात्र में होता है और यह स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभकारी है.
मट्ठे को छाछ के नाम से भी जाना जाता है. दही को मथ कर इसमें लगभग दोगुना पानी मिलाकर जो पेय तैयार होता है उसे मट्ठा कहते हैं. अब यह तो हुआ सादा मट्ठा जिसका प्रयोग हम कढ़ी और सब्जी बनाने में करते हैं. मट्ठे में नमक जीरा आदि मिला लें तो यह बन जाता है पाचक मसाला मट्ठा या फिर मसाला छाछ, जिसे हम स्वादिष्ट पेय के जैसे परोसते हैं. ऐसा माना जाता है कि काला नमक और सेंधा नमक स्वास्थ्य की दृष्टि से ज्यादा हितकर हैं तो हमने यहाँ रेगुलर सफेद नमक के स्थान पर काला नमक और सेंधा नमक का इस्तेमाल किया है. अब तो आप समझ ही गए होंगे कि मट्ठे को बनाना कितना आसान है. तो फिर आप भी बनायें यह गुणकारी मसाला मट्ठा और हमें अपनी राय जरूर लिखें. शुचि
जीरा हर भारतीय रसोई में मिलने वाला एक ज़रूरी मसाला है. इसे भून और पीस कर एयरटाइट डिब्बे में रख सकते हैं जिससे इसका इस्तेमाल आसान हो जाता है. वैसे मेरी दादी माँ ज़रूर पड़ने पर तुरंत ही रोटी सेकने के बाद गरम तवे पर जीरा भून कर उसे चकले के ऊपर बेलन से दरोर लेती थीं. मैं जीरे को पहले भून और पीस कर रखती हूँ जिससे मुझे रोजाना में मट्ठा या रायता बनाने में बहुत आसानी रहती है तो आप भी आजमाएँ यह विधि...
पुदीना स्वास्थ के लिए लाभकारी होता है और गर्मियों में ठंडक भी पहुँचाता है. पुदीने का पाउडर बहुत ही आसानी से घर पर बनाया जा सकता है और बोतल में लंबे समय तक रख सकते हैं . कभी जब पुदीने की ताजी पत्तियाँ घर पर नही होती हैं तब पुदीने का पाउडर बहुत काम आता है, ख़ासतौर पर दही से बनने वाली डिशेज़ में...