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प्रिय पाठकों,आजकल घर पर सब्जियाँ उगाने का चलन बहुत बढ़ गया है. इसकी बहुत सारी वजह हैं: सब्जियों और फलों को जल्दी और आसानी से उगाने के लिए इनमें कई प्रकार के पेस्टिसाइड्स/ केमिकल डाले जाते हैं जो हमारे स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक होते हैं - तो कुछ लोग केमिकल से बचने के लिए घर की बगिया का सहारा लेते हैं. कुछ लोगों को बागवानी अच्छी लगती है और उन्हे प्रकति को करीब से अनुभव करने में मज़ा आता है. वैसे ऐसे भी बहुत सारे लोग हैं जो ऐसी सब्जियाँ जो बाजार में आसानी से उपलब्ध नही हैं उन्हे उगाना चाहते हैं.... खैर वजह चाहे जो भी हो लेकिन अगर आप घर पर सब्जियाँ उगाने की सोच रहे हैं तो इसे काम मत समझिएगा बल्कि इसमें आनंद का अनुभव करिएगा.
मुझे बागवानी का बेहद शौक है. वैसे मैने बरसों तक पढ़ाई भी इसी विषय में की है. मेरे इस शौक में मेरा परिवार भी साथ देता है. मैं ख़ासतौर पर कुछ भारतीय सब्जियाँ जिनका मैं रोजाना में इस्तेमाल करती हूँ उन्हे ख़ास तौर पर घर पर उगाना पसंद करती हूँ. जिनमें से मुख्य रूप से हैं लौकी और करेला. इसके साथ में मैं बैंगन, भिंडी, टमाटर, कई प्रकार की मिर्च, धनिया, पुदीना, मेथी, पालक, बेसिल, इत्यादि भी अपनी छोटी सी बगिया में उगाती हूँ. तो अगर आपको पास थोड़ी सी भी जगह है जहाँ तेज धूप आती है और कुछ उगा सकते हैं तो आप भी अपनी पसंद की सब्जी घर पर उगाएं. यहाँ हम आपको लौकी को घर पर उगाने के बारे में बता रहे हैं.
लौकी, जिसे घिया, कद्दू , दूधी इत्यादि नामों से भी जाना जाता है, स्वास्थ के लिए बहुत अच्छी होती है.ल ौकी में तकरीबन 96% मात्रा पानी की होती है और इसमें रेशे भी प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं. लौकी में रेिटामिन सी, जिंक, औट रिबॉफ्लेविन भी पाया जाता है . कुल मिला कर यह बहुत ही फ़ायदेमंद सब्जी है. अगर आपके पास थोड़ी सी भी जगह है तो आप लौकी को उगा भी सकते हैं अपनी बगिया में. लौकी आमतौर पर गर्मी की सब्जी है और तेज धूप निकलने पर ही बढ़ती है.
लौकी गर्मी की सब्जी है. भारत में तो लौकी बहुत ही आसानी से मिल जाती है सब्जी मंडी में. विदेश में भी लौकी भारतीय राशन की दुकान में मिल जाती है. लेकिन अगर आपको बागवानी का शौक है तो आप लौकी को घर पर बहुत आसानी से उगा सकते हैं. लौकी की भी बेल चढ़ती है कद्दू, खीरे, करेले इत्यादि की तरह. यह सभी एक ही परिवार के सदस्य है. इनकी फैमिली का नाम है कुकुरबिटेसी!! तो लौकी को आप बड़े गमले में उगाएं या फिर ज़मीन में इसे बढ़ते समी सहारे की ज़रूरत होगी तो इसे आप किसी ऐसे किनारे पर लगाएँ जहा इसे बढ़ने के बाद बाँधा जा सके सहारे से. लौकी को आप बीज से उगा सकते हैं जब मौसम गरम होना शुरू हो जाए तो.
लौकी को बड़ी आसानी से बीज से उगाया जा सकता है. यह बीज आपको आपके शहर की पौधशाला में मिल जायेगें या फिर आप इन्हें ऑनलाइन (online) भी मगां सकते हैं. 4 लागों के परिवार के लिए लौकी के 2 पौधे बिलकुल सही रहते हैं. फिर भी मैं 4 लौकी के बीज अंकुरित करती हूँ अगर किसी वजह से सभी बीज अंकुरित न हों तो . अगर सभी बीज अंकुरित हो जाते हैं तो मैं कुछ पौधे दोस्तों को दे देती हूँ. लौकी गर्मी की फसल है. हम ठंडी जगह में रहते हैं तो अक्सर मई के महीने में भी रातें ठंडी हो जाती हैं इसीलिए मैं लौकी के बीज को छोटे गमलों में अंकुरित करती हूँ जिससे मैं दिन में इन गमलों को बाहर धूप में रख देती हूँ और इन्हें रात को अन्दर ले आती हूँ.
लौकी को धुप और गर्मी दोनों ही बहुत पसंद है. जब मौसम गरम होने लगता है तब मैं लौकी को सीधे किचन बगिया में मिटटी में लगा देती हूँ छोटे गमले से निकालकर.
लौकी का पौधा धूप और पानी पाकर बहुत तेजी से बढ़ता है. महीने भर के अन्दर ही लौकी में फूल आने शुरू हो जाते हैं. लौकी के पौधे में दो तरह के फूल आते हैं, एक नर और दूसरा मादा. पहले नर फूल आता है फिर मादा. मोटे तौरपर दोनों फूल एक जैसे ही दिखते हैं लेकिन अगर आप ध्यान से देखें तो फूल के अंत के आधार पर आप अंतर कर सकते हैं. नर फूल में केवल पतली हरी डंडी होती है जबकि मादा फूल में एक छोटा सा फल लगा होता है. इस फोटो में ज्यादातर फल के साथ मादा फूल हैं. फूल हालाँकि सूख गए हैं. नर फूल के नीचे ऐसे फल नहीं होते हैं जबकि पतली हरी डंठल होती है.
कई बार शुरू में कुछ लौकी २-३ लम्बी होकार ही गिर जाती हैं और बड़ी नहीं होतीं. इसका एक मुख्य कारण है परागण. परागण क्या है? परागण में नर फूल के पुंकेसर से मादा फूल के स्टिग्मा तक पराग कण को पहुँचाना होता है. आमतौर पर यह काम भँवरा करता है तो अगर आपकी बगिया में भँवरा है तो यह काम प्राकृतिक रूप से हो जाता है. तो मैं तो आम तौरपर अपनी सब्जी की बगिया में खुशबू वाले फूल भी लगाती हूँ जो भंवरों को आकर्षित करते हैं और परागण अपने आप होता है. अगर परागण नहीं होता है तो कई बार फल बढ़ते नहीं और गिर जाते हैं.
लेकिन अगर आपकी बगिया में भँवरे नहीं आते तो यह काम आपको करना होगा. नर फूल को मादा फूल में हलके हाथों से रगड़ने से इस प्रक्रिया को अंजाम देना होगा. किसी पतले ब्रश की मदद से भी नर फूल के पराग कु मादा फूल के स्टिग्मा तक पहुँचाया जा सकता है. परागण की प्रक्रिया सुचारू रूप से होने पर जल्द ही फल बढ़ने लगता है. और फिर आपको अगले १०-१२ दिन के अन्दर एक ताजी लौकी मिलने लगेगी. आमतौर पर बीज अंकुरित होने के 60 दिन के अन्दर लौकी आ जाती हैं.
नीचे लगी फोटो में कुछ घर पर उगी सब्जियां हैं. यकीं मानिये इन सब्जियों को उगाना, बढ़ते देखना, और फिर घर की सब्जियों को पकाना यह सब मन को बहुत सुकून देता है, यह सब्जियां एकदम शुद्ध भी हैं और स्वास्थ की नजर से तो यह है हीं लाजवाब. ...
शुभकामनाओं के साथ,
शुचि
Methi, also known as Fenugreek, is a strongly aromatic, annual green belongs to legume family. Methi is medicinal plant rich in protein. Methi leaves are rich in magnesium, iron, calcium etc. In Indian cuisine it is used extensively in various forms. In Indian cooking fenugreek seeds are used as a spice....
Eggplant, also known as aubergine in British English is a tropical perennial plant. In India, eggplant is commonly called as brinjal or baingan. Eggplant can be easily found in regular super markets in America, however it doesn’t taste as good as fresh eggplants we get in Indian sabji bazar. ...
लौकी पोस्तो की यह सब्जी बहुत स्वादिष्ट होती है . लौकी, जिसे घिया, कद्दू , दूधी इत्यादि नामों से भी जाना जाता है, स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छी होती है. लौकी में तकरीबन 90% मात्रा पानी की होती है और इसमें रेशे भी प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं. लौकी में विटामिन सी, जिंक, औट रिबॉफ्लेविन भी पाया जाता है .
इस रेसिपी के पीछे एक बहुत सुन्दर कहानी है. इस लौकी पोस्तो की रेसिपी का श्रेय मेरी एक बहुत अज़ीज दोस्त शालिनी और...
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