तलने के लिए सही तेल का उपयोग

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महर्षि वाग्भट रचित अष्टांगहृदयं के अनुसार "तेल" शब्द की उत्पत्ति तिल से हुई है। आयुर्वेद में तिल के तेल को सर्वोच्च स्थान दिया गया है।

आगे बढ़ने से पहले यह भी समझ लें कि खाना बनाने में इस्तेमाल किये जाने वाले सभी तेल वनस्पति यानि कि पेड़ पौधों से ही आते हैं जबकि घी जानवरों के दूध से बनाया जाता है। भारतीय भोजन के लिए घी भी अति उपयुक्त है क्योंकि इसका धूम्र बिंदु अधिक है।

भारत में तेल का प्रयोग भौगोलिक स्थिति और फसल के अनुरूप होता है। उत्तर भारत, बंगाल आदि में सरसों बहुतायत में उगायी जाती हैं और वहां सरसों के तेल का प्रयोग अधिक होता है। दक्षिण भारत में नारियल के तेल का प्रयोग अधिक है और गुजरात में मूँगफली का तेल अधिक उपयोग में लाया जाता है। यह सभी तेल भारतीय भोजन के लिए उत्तम प्रकृति के हैं।

तलने के लिए खासतौर पर ऐसे तेल का प्रयोग किया जाना चाहिए जिसका धूम्र बिंदु अधिक हो। तलने के लिए तेल गरम करते समय कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए।

तलने के लिए सरसों का तेल, मूंगफली का तेल आदि अधिक उपयुक्त हैं क्योंकि इनका धूम्र बिंदु अधिक है। सरसों के तेल का धूम्र बिंदु ४८० °F है जो सबसे ज्यादा है । जानकारी के लिए बता दूं कि घी का धूम्र बिंदु ४८२ °F है ।

तलने के बाद बचे हुए तेल का क्या करें-

यह कई बात पर निर्भर करता है, जैसे कि 1. तेल को किस तापमान तक गरम किया गया है? 2. तेल में क्या तला गया है?

तेल का तापमान - किसी भी तेल को तेज आंच पर गरम किया जाता है तो एक निर्धारित तापमान पर उससे धुआं निकलने लगता है - इसका अर्थ है कि तेल अपने धूम्र बिंदु या smoking point पर पहुँच गया है। इस अवस्था में तेल में विघटन होने लगता है और इसके साथ तेल में कुछ अन्य रासायनिक क्रियाएं भी होने लगती हैं। एक बार धूम्र बिंदु पर पहुँच चुके तेल में जितना भी खाना तलना है उसे एक साथ तल लेना चाहिए। इस तेल को दुबारा प्रयोग नहीं करना चाहिए। उदहारण के लिए - फ्रेंच फ्राइज, पूड़ी, पकौड़े आदि तेज गरम तेल में तले जाते हैं। इसके बाद इस तेल में कई भौतिक और रासायनिक बदलाव आ जाते है। इस तेल में तेज आँच पर गर्म होने से एक महक भी होती है। बेहतर हो कि इस तेल को दुबारा इस्तेमाल न किया जाये और इस तेल में साथ ही कुछ और तल कर पार लगा दें। लेकिन फिर भी अगर बचता है तो इस तेल को छान कर रखा जा सकता है और इसका उपयोग सब्जी छौंकने में किया जा सकता है। लेकिन इस बात का ध्यान रखिये कि इसे गर्म करते समय इसमें धुआं न आये।

तेल में क्या तला गया है- जब तेल में कोई पकवान तला जाता है जैसे कि मठरी, शकरपारे, समोसे, गुझिया इत्यादि तो इन्हें धीमी आँच पर तला जाता है और तेल को कभी भी तेज गरम नहीं किया जाता। अगर आप ध्यान देंगें तो 3-4 घान तलने के बाद भी इस तेल में गाढ़ापन नहीं आता है। इसका मतलब इसकी भौतिक अवस्था नहीं बदली, यह तेल स्मोकिंग पॉइंट तक भी नहीं गया और तेल में महक भी नहीं आयी। तो इस तेल को छान कर रखा जा सकता है और इसे दोबारा तलने के लिए उपयोग किया जा सकता है।

बचे हुए तेल का क्या करें

  1. बेहतर हो कि तलने के लिए कम तेल चढ़ाया जाये और एक ही बार में तलने का काम करके तेल खत्म कर दिया जाये। अगर तेल में तेज गरम होने की महक आ जाये और तलने के बाद बचा हुआ तेल गाढ़ा हो जाये तो इसे फ़ेंक देना चाहिए।
  2. बचे हुए ख़राब तेल को कभी भी सिंक में न फेंकें, और न ही इसे पानी से बहायें क्योंकि तेल पानी में नहीं मिलेगा और यह नाली को ब्लाक कर सकता है। तेल को कूड़े में भी न फेंकें। यह पर्यावरण के लिए भी अति नुकसानदेह है। बचे तेल को गमले में न डालें - यह विघटित नहीं होगा!
  3. बचे हुए ख़राब तेल को किसी टाइट डिब्बे में डालकर किसी रिसायकल सेंटर में देना चाहिए जो इस तेल से बायोडीजल या फिर बायो उर्जा बनाते हैं। अमेरिका में अधिकतर पेट्रोल पम्प बचे हुए तेल को ले लेते हैं। ज्यादातर रेस्टोरेंट भी बचे हुए तेल को ले लेते हैं और बाद में रिसायकल सेंटर में बेच देते हैं।