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आपको शायद जानकर आश्चर्य हो कि काली मिर्च का उल्लेख आयुर्वेद में भी है। काली मिर्च का प्रयोग खाने में मसाले के जैसे और दवाइयों में सदियों से होता आ रहा है। काली मिर्च जिसे अंग्रेजी में ब्लैक पेप्पर ( Amazon Link for Organic Black Pepper ) कहते हैं पाइपरेसी(Piperaceae) परिवार का सदस्य है और इसका वानस्पतिक नाम पाइपर नाइग्रम (Piper nigrum) है।
काली मिर्च पौधे का फल है। इसके फल गुच्छों में उगते है। काली मिर्च का फल हरा होता है और पक जाने पर फल का रंग लाल हो जाता है और जब इसे तोड़कर सुखाया जाता है तो इसका रंग काला हो जाता है। काली मिर्च अन्दर से हलकी सफेद होती है।
काली मिर्च में पानी में अघुलनशील क्षार होता है जिसे पाइपरीन कहते हैं जिससे काली मिर्च की चरपराहट आती है।
काली मिर्च का प्रयोग खाने में पूरी दुनिया में किया जाता है। काली मिर्च में कुछ एंटीऑक्सीडेंट होते हैं जिनके बारे में कहा जाता है कि इनके अन्दर कई बीमारियों से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता होती है। काली मिर्च का प्रयोग कई प्रकार की आयुर्वेदिक दवाइयों में भी किया जाता है। काली मिर्च में एंटीआक्सिडन्ट होते हैं और साथ ही इसमें बीमारियों लड़ने वाले तत्व भी हैं जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं। आयुर्वेद में तो काली मिर्च की भूरी भूरी प्रशंसा है ही और आज का विज्ञान और रीसर्च भी इसके गुणों को मानती है। रीसर्च यह भी कहती है कि जब हल्दी के साथ काली मिर्च भी डालते हैं खाने में तो हल्दी का अवशोषण ज्यादा अच्छे से होता है।
कुछ काली मिर्च के प्रयोग जो घर के बड़े बुजुर्ग करते हैं वो इस प्रकार हैं।
काली मिर्च के और भी बहुत गुणों का उल्लेख आयुर्वेद में किया गया है। वैसे यूरोप में भी खाने में काली या फिर सफेद जो कि एक ही पौधे से आती है का प्रयोग लाल या फिर हरी मिर्च के मुकाबले में अधिक होता है।
सफेद मिर्च -सफेद मिर्च का प्रयोग आमतौर हल्के रंग के व्यंजनों जैसे कि सूप, सलाद, ठंडाई, बेक्ड रेसिपी इत्यादि में किया जाता है. सफेद और काली मिर्च दोनों एक ही पौधे के फल हैं बस अपने रंग की वजह से उनका इस्तेमाल अलग हो जाता है.
जानकारी का स्रोत- महर्षि वाग्भट रचित अष्टांगहृदयं एवं भावप्रकाशनिघंटु