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गुलगुले एक बहुत ही पारंपरिक भारतीय मिठाई है जिसे तीज-त्यौहार, और खासतौर पर करवाचौथ और बसौड़ा आदि पर बनाया जाता है. चंद्र भगवान को अर्क देने के बाद गुलगुले से ही व्रत खोला जाता है. कदाचित भारतवर्ष की प्राचीनतम मिठाई है गुलगुला या पुआ. प्राचीन ग्रंथों में पुए/गुलगुले का "अपूप" नाम से वर्णन है. ऋग्वेद में (देखें 4.45.3) और पतंजलि (देखें 2.45) में, महाभारत के अनुशासन पर्व में और सुश्रुत एवं चरक संहिता में भी अपूप का वर्णन है. गुलगुले को आटे और शक्कर या गुड़ के घोल से बनाया जाता है. इसमें स्वाद और खुशबू के लिए थोड़ी सी कुटी इलायची और सौंफ भी डाली जाती है. अब इन गुलगुलों को शुद्ध देसी घी में तला जाता है . नाम से ही स्वादिष्ट लग रहे हैं न ...घी की मिठाइयाँ स्वादिष्ट तो बहुत होती हैं लेकिन इनमें कैलोरी भी ज्यादा होती है तो आप अपनी सेहत का ख्याल रखते हुए इन स्वादिष्ट गुलगुलों को बनायें और इनका मजा लें. अगर आपको कोई घी का परहेज है तो आप गुलगुलों को तेल में भी तल सकते हैं. तो आप भी बनाइए इन स्वादिष्ट गुलगुलों को इस करवा चौथ की पूजा पर और कृपया हमें अपने सुझाव और राय जरूर लिखियेगा. शुभकामनाओं के साथ, शुचि
मालपुए बहुत ही पसंद की जाने वाली पारंपरिक भारतीय मिठाई है. जाड़े के मौसम में भारत में हलवाई की दुकान में बनते गरमागरम मालपुए आसानी से किसी को भी अपनी ओर खीच लेते हैं.... आप में से बहुत सारे पाठक मालपुए बनाने की विधि के बारे में पूछते रहे हैं.. तो चलिए इस बार दीपावली में बनाते हैं यह स्वादिष्ट मालपुए.....
शकरपारे, मारवाड़ी/ राजस्थानी व्यंजन है. जैसा कि नाम से ही जाहिर है यह एक मीठा व्यंजन है, जिसे कि धीमी आँच तालकर तैयार किया जाता है. इसके बाद इसे चाशनी में डालते हैं. शकरपारे सभी को बहुत पसंद आते हैं और बनाना भी आसान है. तो इस बार आप होली में बनाइए शकरपारे......