प्रिय पाठकों ,
आज के समय में हर किसी की एक ही समस्या है बढ़ता हुआ वजन! लोगों को समझ ही नहीं आता कि आखिर उनका वजन बढ़ता कैसे है।
मैंने बहुत लोगों को कहते सुना है मैं तो बस दो रोटी खाती हूँ न जाने वजन कैसे बढ़ जाता है। मेरे शरीर को तो जैसे हवा-पानी भी लग जाता है। चलिए देख लेते हैं यह 2 रोटी की क्या कहानी है।
रोटी तो दो मुश्किल से दो ही खायीं जिसमें वाकई कुल मिलाकर 90–150 के बीच की कैलोरी हुई रोटी की मोटाई के अनुपात में। लेकिन उसके साथ क्या खाया- मक्खन से भरा पनीर बटर मसाला, तेल में डूबे छोले, सब्जी, पापड़, रायता, पुलाव - मतलब कोई कमी न रह जाये! खाने में तो कुछ मीठा भी तो बनता ही है।
और हाँ - सोने से पहले गरम हल्दी के दूध का जिक्र तो आयुर्वेद में भी है- तो यह भी हो जाये। लीजिये यह बन गया 2000 कैलोरी से भी ऊपर का खाना वो भी रात में। रोटी तो दो ही थीं इसमें और घी भी फायदा ही करता है। सब कुछ आयुर्वेद के हिसाब से ही तो खाया तो सब स्वस्थ ही है। बड़े भोलेपन से लोग सोचते हैं कि फिर वजन कैसे बढ़ गया?? जरूरत है पूरे दिन में कुल 2000 कैलोरी की और खाई जा रही हैं एक बार में 2000 कैलोरी तो क्या करेगा बाबाजी का योगासन और क्या करेगी बेचारी ग्रीन टी!
चलिए घर के बने दो शुद्ध शाकाहारी, सम्पूर्ण , स्वादिष्ट और पौष्टिक खाने का उदाहरण लेते हैं। नीचे लगी थाली में लगभग 700 कैलोरी का खाना है जो स्वाद और सेहत से भरपूर है ।
अब एक और दूसरा उदाहरण देखते हैं। यह जो थाली नीचे लगी है यह भी सेहत से भरपूर है। दुनिया का कोई भी आहार विशेषज्ञ इस खाने की प्रशंसा करेगा। यह खाना भी आयुर्वेद के हिसाब से ही बना है । घर पर शुद्ध ओर्गानिक सामान से बना है और प्रोटीन, कर्बोहाईड्रेट, वसा, खनिज, रेशे, आदि सब कुछ है इसमें। लेकिन नीचे लगी थाली में ऊपर लगी थाली से लगभग 600 कैलोरी ज्यादा हैं। बाजार में मिलने वाले किसी भी खाने के मुकाबले यह खाना अमृत है और अगर कहीं अमेरिका के किसी भी रेस्टोरेंट में ऐसी थाली मिल जाये तो हम इसे 20 डॉलर में भी खाने में नही हिचकिचाएंगे लेकिन फिर भी आप इसे अगर सुबह शाम खाते हैं तो आप निर्धारित मात्रा से बहुत ज्यादा कैलोरी खा रहे हैं।
यह तो हमने अभी तक स्वस्थ खाने का उदाहरण दिया है बाहर के खाने की तो बात ही नहीं की अभी। बाजार का चायनीज, इतालवी या फिर खालिस देसी खाना जैसे पनीर बटर मसाला, नान, पुलाव, दाल मखनी, कोफ्ते आदि स्वादिष्ट है लेकिन सेहत से कोसों दूर। नीचे लगी फोटो में मक्खन और क्रीम से भरपूर रेस्टोरेंट के पनीर बटर मसाला की फोटो लगी है।
अब आप देख लीजिये - जहाँ स्वस्थ खाना खाकर ही वजन को काबू में रखना मुश्किल है वहां इस खाने के लिए क्या कहूं। तो खाना तो स्वस्थ ही चाहिए लेकिन साथ में इस पर भी निगाह रखें कि कितना खाना खाना है।
बड़ा आसान और सीधा सा फॉर्मूला है वजन का-
Weight= calories in – calories out
हिन्दी में यह हुआ- वजन= कैलोरी (जो अन्दर गयीं) – कैलोरी (जो बाहर आयीं)
यहाँ कैलोरी ईंधन है। जिसकी हमें जरूरत होती है शरीर को चलाने के लिए - जैसे कि गाड़ी को चलाने के लिए पेट्रोल की। अब अगर ईंधन भरकर गाड़ी चलायेंगें तभी ईंधन की खपत होगी और अगर गाड़ी खड़ी कर देंगें तो ईंधन तो कम होगा नहीं। बस ऐसे ही हमारा शरीर भी है। ईंधन की मात्रा जब शरीर में बढ़ जाती है और उसकी खपत नहीं होती है, तो यह शरीर पर चर्बी की परतों में परिवर्तित होने लगती है।
शरीर को चलाने के लिए हम खाना खाते हैं, पानी पीते हैं, और सांस लेते हैं जो ऑक्सीजन के रूप में आती है। मोटे तौर पर शरीर में जाने वाला सभी खाना ग्लूकोज में परिवर्तित हो जाता है।
यह सब शरीर के अन्दर है जितना आपने खाया पिया उस हिसाब से। फिर इसका पाचन होता है और इसे बाहर भी निकलना होता है शरीर से। अब एक स्वस्थ इंसान में यह सब निकलता कैसे है वो भी देख लेते हैं-
अगर हमें वजन कम करना है तो इसके लिए हमें जितनी कैलोरी अन्दर जा रही हैं उससे ज्यादा कैलोरी खर्च करनी होती हैं। कई तरीके हैं वज़न कम करने के , सुने होंगें आपने भी, मुश्किल नहीं हैं- एक एक करके आजमा लीजिये।
भोजन और स्वास्थ्य का चोली दामन का साथ है। भोजन और जीवन शैली से तो आयुर्वेद भरा हुआ है। कोई भोजन कितना भी अच्छा हो इसे आप सीमित मात्रा में ही खा सकते हैं। हर इंसान की शारीरिक सरंचना अलग है और पाचनतंत्र भी अलग तरह से काम करता है। तो आप अपने शरीर को पहचान कर इस दिशा में काम करें। वजन कम करना कोई जादू नहीं है सीधी सीधी गणित है!
इतना मुश्किल भी नहीं है वजन को नियंत्रित रखना - थोड़ा सा मन पर नियन्त्रण चाहिए। सुविधा के अनुसार योग, प्राणायाम या व्यायाम करें। पैदल चलें। खुश रहें।
आपके सुझावों और अनुभव का स्वागत है। कृपया टिप्पणी में अपनी राय साझा करें।
शुभकामनाओं के साथ,
शुचि