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उत्तर भारत में होली के अवसर पर कांजी बनाने का चलन है. फागुनी मौसम में रंगों की बहार के साथ यह चटपटी कांजी बहुत स्वादिष्ट लगती है. पिछले साल हमने आपको कांजी के वड़े बनाना बताया था. हमारे मायके में होली पर कांजी ज़रूर बनती है और मुझे याद है कि यह बड़े से मटके में बनाई जाती थी क्योंकि हमारा बड़ा सा संयुक्त परिवार था और ढेर सारे मेहमान भी आते थे. खैर अब समय बदल गया है तो आप अपनी ज़रूरत के हिसाब से कांजी बनाइए..... इस बार हमने बदलाव के लिए गाजर की कांजी बनाई है. राई को चढ़ने में थोड़ा समय लगता है तो बेहतर होगा की आप कांजी को होली के दो दिन पहले ही बना लें. तो फिर देर किस बात की, आप भी बनाइए यह लोकप्रिय व्यंजन और लिखना ना भूलें अपनी राय...........
वैसे तो कांजी ऐसे ही बहुत लज़ीज़ लगती है लेकिन अगर आप चाहें तो इस स्वादिष्ट और जयकेदार कांजी को आप खाने के साथ भी परोस सकते हैं. यह परांठों के साथ भी बहुत मजेदार लगती है.
राई का पानी चढ़ने (खट्टा होने में) में 2-4 दिन लगते हैं. यह मौसम पर निर्भर करता है कि कांजी कितना समय लेगी खट्टा होने में. एक बार जब राई का पानी (कांजी) खट्टा हो जाए तो इसे फ्रिज में रख दें. आप इसको फ्रिज में 4-5 दिन तक रख सकते ह